शनिवार, 26 जुलाई 2014

भारत मैं बलात्कार के बडते मामले "एक पड़ताल "



   आज का ये मेरा ब्लॉग समर्पित है, लखनऊ की  बलात्कार पीड़िता को, जो की अब इस दुनिया मैं नहीं रही, मैं भगवान से उसकी  आत्मा की शांति की प्राथना करता हु!



   साथ ही जहन में  एक सवाल बार बार उठता है आखिर कब तक .… ऐसे ही देश की बहन बेटियो की आबरू से खेला जाता रहेगा आखिर कब तक ऐसे ही मासूमों के साथ हैवानियत का खेल चलता रहेगा आखिर कब तक एक माँ, एक बेटी, एक पत्नी , एक बहन अपने आप को इस देश मैं सुरक्षित नहीं समझेगी, आखिर कब तक…

   मैं पूछना चाहता हु उन समाज के ढेकदारो से जो बड़ी बड़ी बाते करते है, इन सब की सुरक्षा के लिए उस के बावजूद इस तरह की घटनाये कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है! और हम सब हाथ पर हाथ रख कर बैठे  हुए है.

    मेरे को बढ़िया से याद है जब डेल्ही मैं दामिनी बलात्कार घटना हुई थी, उस के बाद देश के लोगो मैं बड़ा आक्रोश हुआ था,  बड़ी सारी कोशिस हुई इन घटनाओ को रोकने को लेकर कानून बनाने की बात हुई,  पुरे देश मैं इस घटना को लेकर जिस प्रकार का माहौल था उस के बाद हम सब को लगा की शायद  अब इस प्रकार की घटनाओ की पुनरावर्ती नहीं होगी, लेकिन मुझे बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है की,  ये सब बातें अब हवाई हो गयी है  सब लोग उस घटना को भूल गए है! सब लोग अपने मैं  इतने वयस्त की किसी को किसी से  कोई  फर्क ही नहीं पड़ता! सब लोगो ने अपने समाज का एक दायरा बना लिया है और वो लोग इस दायरे से बहार नहीं निकलना चाहते !

और,  जब तक ये ":चलता है वाला हमारा रविया"  रहेगा मैं दावे के साथ कह सकता हु तब तक  हम इन घटनो को नहीं रोक पाएंगे!



मैं इस ब्लॉग के  दवारा आपका  ध्यान खीचना चाहता हु की,  भारत मैं बलात्कार की घटनाये कोई नयी  घटनाये  नहीं है ये भुतकाल से चली आ रही है पहले ये घटनाये कम थी पर वर्तमान मैं इन की संख्या बड़ गयी है, लेकिन भुतकाल और वर्तमान काल के बलात्कारों मैं जो मूलभूत बदलाव आया है वो है वो है इन घटनाओ में पीड़िता के साथ होने वाली  यौन हिंसा, जैसा की हम वर्तमान की घटनाओ में देख रहे है.

 जैसा की  मैंने अपने पहले के ब्लॉग में भी लिखा था की आखिर क्यों लोगो मैं इतनी हिंसा भर गयी है, क्यों पीडा व संवेदनाये खत्म होती जा रही है

वर्तमान में जब भी कोई बलात्कार की घटना हमारे सामने आती है तो सभी टीवी चैनेलो पर इस बारे मैं बहस शुरू हो जाती है,  की आखिर ये घटनाये क्यों हो रही है, तो कई लोग का मत  लड़कियों/औरतो के पहनावे को दोषी बताते है कुछ लोग आदमियो की मानसिकता को गलत बताते है !

हमें इस बात को समझना होगा की,  भले ही हम भारत को 21वी सदी में देखते है पर आज भी हमारे समाज में पुरुष की प्रधानता है, और ये प्रधानता आदि काल से चली आ रही है अगर हम सोचे की हम इस को कुछ समय मैं ही बदल देंगे तो शायद  यह हमारी गलत सोच होगी, ये मंजर भी बदलेगा पर समय लगेगा, हमें इस बात को समझना होगा की  हम भारतीय सिर्फ कपडे बदलते है सोच नहीं, और जब तक सोच नहीं बदलेगी तब तक इन घटनाओ को रोक पाना मुश्किल होगा और ये सोच सिर्फ पुरुष ने ही  नहीं स्त्रियों ने भी बदलनी है इस बात को हमें समझना होग.   

अब हम समझने की कोशिस करेंगे की आखिर इन घटनाओ के बढ़ने के पीछे क्या कारण हो सकते है

मीडिया :-  आज आप किसी भी टीवी चैनल को देख लीजिये, भारत में  बनने वाली फिल्मो को देख लीजिये जहा पर परिवारिक समरसता को खत्म  दिखाया जा रहा है, और औरत को सिर्फ  "भोग" की वस्तु दिखाया जा रहा है, जिस का परिणाम हम आज समाज में  देख रहे है, आधुनिकता के नाम पर जिस तरह का "नंगा" नाच मीडिया में  दिखाया जा रहा है उस के लिए कोई आवाज नहीं उठाता, मैंने खुद कुछ ऐसी फिल्मे देखी है जिस को हमारी सरकार ने (u /a ) प्रमाण पत्र  दिया है पर आप उन फिल्मो के कुछ दृश्यों को अपने माता पिता  और अपने बच्चो के साथ नहीं देख सकते.

जब कोई  इस नग्नता की खिलाफ आवाज उठता है,  तो उसे संकीड़ (छोटी सोच ) वाला बताया जाता है, उसे आधुनिकता के खिलाफ बताया जाता है, और उसे बेइज़त किया जाता है, यही कारण है की कोई इस के लिए आवाज  नहीं उठाता, जब की यही सच्चाई है.

जब भी देश  में  कही भी बलात्कार की घटना होती है उसे सामचार चैनल उसे मसाला लगा कर दिखाते है, इन चैनल वालो की किसी की भावनाओ और सवेंदनाओ से कोई मतलब नहीं, जितना हो सकेगा उस खबर को मिर्च मसाला लगा कर दिखायेंगे ताकि उन के न्यूज़ चैनल की T R P बड़े. हम को इस बात को समझना होगा की कुछ न्यूज़ बड़ी ही संवेदनशील होती है उन को उतनी ही सवेदना के साथ दिखाया जाना चाहिये , ताकि समाज में  एक स्तर कायम रह सके.

सूचना प्रद्योगकी  का गलत उपयोग:-  (Internet ) जिस प्रकार से सुचना प्रद्योकि ने हमारे जीवन के हरएक पहलु को छुआ है उस से  आज के समय में  कोई भी अछूता नहीं  रहा है, इससे  हमारे जीवन में  बड़े सकारात्मक बदलाव आये है, आज हमारा जीवन इस के आने से और भी जायदा आसान हो गया है! लेकिन जिस प्रकार इस ने हमारे जीवन को आसान बनाया है कई प्रकार से ये हमारे जीवन व समाज के लिए नासूर बनता जा रहा है मैं बात कर रहा हु जिस प्रकार से इंटनेट के द्वारा किसी भी उम्र के लोगो को जितनी आसानी से अश्लील सामग्री  उपलब्द हो   जाती है वो बड़ी ही गंभीर समस्या का रूप लेती जा रही है, मैंने कुछ दिन पहले ही सुना की इंटनेट के उप्पर अश्लील सामग्रियों का बाज़ार करीबन 20,000/- करोड़ का है इस बात से आप समझ सकते है की ये कितना बड़ा बाजार है और कितने लोगो तक इस की पहुंच होगी, आज भी भारत मैं जब भी आप अश्लील साइट को खोलते है वो आप की उम्र के बारे मैं पूछता है जहा पर आपको सिर्फ 18 + वाले मैं क्लिक करना होता है, और बस आप उस के बाद वह कुछ भी देख सकते !!! आप अपने मोबाइल मैं सर्च कीजिये  सब कुछ आप के जब मैं, व्हाट्स अप  और सोशल साइट्स में ऐसे ग्रुप है जो दिन भर सिर्फ और सिर्फ पोर्न भेजते रहते है ये जो पॉलसी है वो बिलकुल भी इस समस्या का समाधान नहीं है. और इस तरह के अश्लील साइट को देख कर देश में  बलात्कार की घटनाये निश्चित ही बड़ी है. शायद मेरी इस बात से कई लोग  इतफ़ाक न रखें हो सकता है की नज़रिया अलग हो पर ऐसा है.


सामाजिक ताने बाने का बिखराव :-  जब से समाज में  परिवार विखंडित हुए है उस का भी ये एक कारण है की महिलाओ में  असुरक्षा का  भाव बड़ा है!  साथ ही लिविंग रिलेशन वाले रिश्ते जो की बाद मैं बलात्कार का रूप ले लेते  है, आखिर  कैसे लोग प्यार से बलत्कार का स्वरूप दे देते है, क्यों हमारा समाज ऐसे लोगो को बढ़ावा देता है, जिस के कारण समाज में इस प्रकार की विसंगतियाँ पैदा होती है.  परिवार में  माँ से बेटी की प्राइवेसी हो गयी है, बेटे बाप के बीच प्राइवेसी हो गयी है, ये जो प्राइवेसी सब्द है ये ही सब से बड़ा प्राइवेसी हो गया है, हमें हमें समझना होगा की प्राइवेसी है क्या  ये पहले नहीं हुआ करती थी क्या  या सिर्फ मोबाइल आने के बाद ही सब कुछ प्राइवेट  हुआ है, क्या इस से पहले कोई प्राइवेसी नहीं थी, बिलकुल थी पर उस प्राइवेसी का कुछ मतलब था आज के प्राइवेसी का मतलब है अपनी गलतियों को छुपाना, बच्चो से ले कर सभी के हाथो में  मोबाइल और मोबाइल के अंदर मोबाइल की कीमत से जयादा के  लॉक्स,  में  पूछता हु की आखिर ऐसी कौन सी प्राइवेसी की आप को हर अप्प को लॉक करना पड़ता है!

क्यू नहीं हम अपने मोबाइल फ़ोन को अनलॉक कर  और उदहारण पेश करे . की हमें अपने लोगो से कुछ गुप्त रखने की जरूरत नहीं है.

आज जब भी हम इस तरह की घटनाओ को रोकने की बात करते है तो हम सब ये मान लेते है की यह सरकार का काम है और हम इस मैं कुछ नहीं कर सकते, ऐसा  ऐसा नहीं ही की आप इस मैं कुछ नहीं कर सकते अगर आप चाहे तो कुछ भी कर सकते है लेकिन करना कोई नहीं चाहता,  क्या आप बलात्कारियो का सामजिक बहिष्कार नहीं कर सकते, जैसा मैंने कहा सब ने अपना अपना दायरा बना लिया है अगर उस मैं कुछ होता है तो उस पर उन की प्रतिक्रिया आती है नहीं तो सब मौन। 

सरकार को चाहिए की वो इस प्रकार की घटनाओ की पुनरावर्ती को रोकने के लिए कठोर कानून बनाये, इस तरह की घटनाओ का निपटारा फ़ास्ट ट्रक कोर्ट मैं करवाये! दोषियों को जल्द से जल्द और कठोर से कठोर सजा दिलवाए और लड़कियों और ओरतो को भी ये समझना है की वो अपने बचाव मैं कुछ ऐसी चीजे रखे ताकि वो आसानी से इस तरह से शिकार न बने! साथ ही साथ  उन को भी ये समझना होगा की उन की भी कुछ मर्यादाये है वो उन को न लाँघे। तभी जा कर हम समाज से इस बुराई को खत्म कर सकेंगे.



केन्द्र सरकार  को चाहिए की वो इस तरह के मामलों की उचित कार्यवाही की निगरानी के लिए  राज्यों मैं कोर कॉमेटी बनायीं जाये जो की हर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार  सौपे, और उस के बाद केन्द्र सरकार इस बात का ध्यान रखे के सभी मामले कम समय सीमा मैं निपटे। 

ये सभी विचार मेरे अपने है  है अगर आप को लगता है की इन विचारो मैं कुछ कमी या बड़ा चढ़ा कर बताया गया है तो आप मेरे साथ इन के लिए अपने प्रश्न इस ब्लॉग के माध्यम से भेज सकते है मैं यथा मेरे ज्ञान उस का उत्तर देने का प्रयास करूँगा!





  

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